कागज़ की कश्ती जैसी जिंदगी का भरोसा आखिर क्यों करना ! कागज़ की कश्ती जैसी जिंदगी का भरोसा आखिर क्यों करना !
ज़िन्दगी ने हमसे कोई ख़्वाहिश की तो होगी। मुकर जाना करके वादे निभाने के सियासतदानों से उसकी पहचान पुरा... ज़िन्दगी ने हमसे कोई ख़्वाहिश की तो होगी। मुकर जाना करके वादे निभाने के सियासतदानो...
आपके होकर खुद खोने लगे। धीरे -धीरे आप मेरे होने लगे। आपके होकर खुद खोने लगे। धीरे -धीरे आप मेरे होने लगे।